Ustad Ko Haqeer (Hakeer) Samajhne Ka Anjam
उस्ताद को हक़ीर (कमतर) समझने पर मुसीबतें: जनाब रिसालत मआब ( सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ) ने फ़रमाया है जो शख्स अपने उस्ताद को हक़ीर जाने उसको अल्लाह तआला बारह (१२) मुसीबतों यानी बलाओं में मुब्तिला करता है-
- वह शख्स जो इ़लम हासिल करेगा भूल जाएगा
- उसका रिज़्क़ जाता रहेगा
- उसकी उ़म्र कम होगी
- उसके चेहरे से नेकी और सआ़दत की रौनक़ ख़त्म हो जाएगी
- उसको इ़बादत-ए-इलाही की तौफीक़ ना होगी
- हमेशा शैतान के मकरो फरेब में मुब्तिला रहेगा
- जान निकलने के वक़्त उसकी ज़बान कलिम-ए-शहादत के लिए गूंगी हो जाएगी
- उसका दिल मारिफ़त-ए-इलाही के लिए हाज़िर न होगा
- दुनिया से ईमान के बग़ैर उठेगा
- उसकी क़ब्र इस क़दर तंग होगी कि उसकी हड्डियां, पसलियां चूर-चूर हो जाएंगी
- फ़ासिक़ों और बदकारों के साथ में उसका हश्र होगा
- हमेशा दोज़ख़ में रहेगा
(तज़्किरतुल वाइ़ज़ीन) और (सुन्नी इस्लाह़े उम्मत)
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