Wazu ke Farz, Sunnatein Aur Mustahab Kitne Hain?
वज़ू को छोटी तहरात (पाकी) भी कहते हैं। वज़ू के बग़ैर आपकी नमाज़ फसिद हो जाती है इसलिए आप आज हज़रात को चाहिए कि वज़ू को सही तरीके से फ़राइज़, सुन्नतों और मुस्तहिब्बात का ख्याल रखते हुए बनाएं।
वजू के फर्ज़, सुन्नतें और मुस्तहब नीचे तफ़सील के साथ दिए गए हैं-
वज़ू के (4) फ़राइज़ हैं ( Wazu Ke Farz )
- मुँह धोना (यानि माथे पर बाल निकलने की जगह से, ठोढी के नीचे तक और एक कान के किनारे से दूसरे कान के किनारे तक पूरा चेहरा इस तरह धोना कि बाल बराबर भी कोई जगह सूखी न रह जाए, वरना वज़ू नहीं होगा।)
- कोहनियों समेत दोनों हाथों को धोना।
- सर का मसह करना यानि भीगा हुआ हाथ फेरना।
- टख़नों समेत दोनों पाँवों का धोना।
वज़ू की (16) सुन्नतें हैं ( Wazu Ki Sunnatein )
- वज़ू की नियत करना।
- बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़ना।
- पहले दोनो हाथों को 3 मर्तबा धोना।
- मिस्वाक करना।
- दाहिने (दाएं) हाथ से 3 मर्तबा कुल्ली करना।
- दाहिने (दाएं) हाथ से 3 मर्तबा नाक में पानी चढ़ाना।
- बायें (बाएं) हाथ से नाक साफ करना।
- दाढ़ी का उंगलियों से ख़िलाल करना।
- हाथ पांव की उंगलियों का ख़िलाल करना।
- हर अज़ू को 3-3 बार धोना।
- पूरे सर का एक बार मसह करना।
- तरतीब से वज़ू करना।
- दाढ़ी के जो बाल मुँह के दाइरे के नीचे हैं इन पर गीला हाथ फेर लेना।
- अज़ू को लगातार धोना यानी एक अज़ू सुखने से पहले ही दूसरे अज़ू को धो लेना।
- कानो का मसह करना।
- हर मकरूहात से बचना।
वज़ू में (20) मुस्तहब हैं ( Wazu Ke Mustahab )
- दाहिनी तरफ़ से शुरू करना, मगर दोनों गाल एक साथ धोयें, कानों का मसह भी एक साथ करें।
- उंगलियों की पुश्त यानि उल्टी तरफ़ से गर्दन का मसह करना।
- वज़ू करते वक़्त काबे की तरफ़ ऊँची जगह बैठना।
- वज़ू का पानी पाक जगह गिराना।
- पानी डालते वक़्त वज़ू के हिस्सों पर हाथ फेरना ख़ास कर सर्दी के मौसम में।
- वज़ू में जो हिस्सा धोना है उसपर पहले तेल की तरह पानी मल़ लेना ख़ास कर जाड़े में।
- वज़ू के लिए पानी अपने हाथ से भरना।
- दूसरे वक़्त के लिये पानी भर कर रखना।
- वज़ू करने में बिना ज़रूरत दूसरे से मदद न लेना।
- अँगूठी पहने हुए हो तो उसको हिलाना जबकि ढीली हो ताकि उसके नीचे पानी बह जाये। अगर ढीली न हो तो उसका हिलाना फ़र्ज़ है।
- कोई मजबूरी न हो तो वक़्त से पहले वज़ू करना।
- इत्मीनान से वज़ू करना, जल्दबाज़ी में कोई सुन्नत या मुस्तहब नहीं छूटना चाहिये।
- कपड़ों को वज़ू की टपकती बूँदों से बचाना।
- कानों का मसह करते वक़्त भीगी छुंगली कानों के सुराख़ में दाख़िल करना।
- वज़ू लोटे से करें तो उसे बाईं तरफ़ और तश्त या टब से करें तो दाहिनी तरफ़ रखना।
- लोटे में दस्ता लगा हो तो दस्ते को तीन बार धो लें और हाथ उसके दस्ते पर रखें।
- दाहिने हाथ से कुल्ली करना और नाक में पानी डालना।
- बायें हाथ से नाक साफ़ करना और बायें हाथ की छुंगली नाक में डालना।
- पाँव को बायें हाथ से धोना।
- मुँह धोने में माथे के सिरे पर ऐसा फैला कर पानी डालें कि ऊपर का भी कुछ हिस्सा धुल जाये।
जो अच्छी तरह वज़ू करता हो उसे कोयों, टख़नों, एड़ियों, तलवों, कूँचों, घाइयों और कुहनियों का ख़ास ख़्याल रखना मुस्तहब है और बे-ख़्याली करने वालों के लिए तो फ़र्ज़ है कि अक़्सर देखा गया है कि यह जगहें सूखी रह जाती हैं और ऐसी बे-ख़्याली हराम है।
वज़ू का बर्तन मिट्टी का हो। ताँबे वग़ैरा का हो तो भी हर्ज नहीं मगर क़लई वाला हो।
(बहार-ए-शरीयत और आलमगीरी)
Post a Comment
Post a Comment