Namaz Mein Kitni Sunnatein Hain
नमाज़ की सुन्नतें: नमाज़ में लगभग (53) सुन्नतें हैं जिनका अदा करना जरूरी है। सभी सुन्नतें तफ्सील के साथ नीचे लिखी हुई हैं, इनको पढ़े और अपने दोस्तों के साथ शेयर ज़रूर करें।
क़ियाम में (14) सुन्नतें हैं ( Qyam Ki Sunnatein )
- तकबीरे तह़रीमा के वक़्त सीधा खड़ा होना रुख और नज़रे काबा के तरफ, सर को झुकाना नहीं
- दोनों पाँव के बिच में (4) उंगली का फासला रखना और पाँव की उंगलियों को क़िब्ले के रुख की तरफ रखना
- तकबीरे तह़रीमा इमाम की तकबीरे तह़रीमा के साथ होना
- तकबीरे तह़रीमा कहते समय अपने दोनों हाथो को कानो तक उठाना
- तकबीरे तह़रीमा कहते वक़्त अपने दोनों हथेलियों के रुख क़िब्ले की तरफ रखना
- तकबीरे तह़रीमा के वक़्त अपने हाथो की सारी उंगलियां अपनी असल जगहों पर रखें मतलब वो जैसी रहती है वैसी रखना
- हाथ बांधते वक़्त अपने दाए हाथ की हथेलियों को अपने बाए हाथ की हथेलियों की पीठ पर रखना
- मर्दों को दाये हाथ की छोटी ऊँगली और अंगूठे दोनों को मिला के बाए हाथ की कलाई (मनगट) पकड़ना
- बीच वाली (3) उंगलियों को बाएं हाथ की कलाई पर रखना
- मर्दों को अपने हाथ नाफ़ के निचे बांधना।
- सना पढ़ना
- लफ्ज़े सलाम से नमाज़ ख़त्म करना
- वित्र की तीसरी रकात में रुकूअ़ से पहले अल्लाहु अकबर कहना और दुआ ए क़ुनूत पढ़ना
- दोनों ईदों की नमाज़ में छ: ज़ाइद तकबीर कहना
क़िरात में (6) सुन्नतें हैं ( Qirat Ki Sunnatein )
- अऊज़ुबिल्लाह पूरा पढ़ना (इसको तअ़व्वुज़ कहते हैं)
- तस्मियह (यानी पूरा बिस्मिल्लाह पढ़ना)
- अल्ह़म्दु (सूरह फातिह़ा) शरीफ के बाद धीरे से आमीन कहना
- फ़ज्र की पहली रकात लम्बी करना
- क़ुरान को नमाज़ में ना जल्दी पढ़ना ना ज़्यादा रुक कर पड़ना
- सुन्नत नमाज़ की तीसरी और चौथी रकात में सूरह फातिह़ा के बाद सूरह पढ़ना
रुकूअ़ में (8) सुन्नतें हैं ( Ruku Ki Sunnatein )
- रुकूअ़ में रुकूअ़ की तकबीरे पढ़ना
- मर्दों को अपने दोनों हाथो से अपने दोनों पैर के घुटने मज़बूती से पकड़ना
- दोनों हाथों की उंगलियों से अपने पैरो के घुटने पकड़ना
- पाँव की पिंडलियों को सीधे रखना
- रुकूअ़ में मर्दों को अपनी पीठ बिछा देना
- रुकूअ़ में मर्दों को सर और गर्दन सुरीन (रीढ़ की हड्डी) सीधी लाइन में रखना
- रुकूअ़ में कम से कम (3) मर्तबा "सुब्ह़ान_रब्बियल_अज़ीम" पढ़ना और ज्यादा से ज्यादा (7) बार
- रुकूअ़ से उठते समय इमाम को “समीअ़_ल्लाहु-लिमन_ह़मिदह" कहना मुक़्तदी को “रब्बना_लकल_हम्द” कहना
सजदे में (12) सुन्नतें हैं ( Sajde Ki Sunnatein )
- सजदा की तकबीर पढ़ना
- सजदे में सबसे पहले अपने दोनों घुटने रखना
- उसके बाद अपने दोनों हाथों को ज़मीन पर रखना
- फिर नाक ज़मीन पर रखना
- उसके बाद पेशानी को ज़मीन पर रखना
- दोनों हाथों के बीच सजदा करना
- मर्दों को सजदा करते समय अपने पेट को जांग से अलग रखना
- मर्दों को बाज़ू मतलब हाथ की कोहनी को पेट से अलग रखना
- मर्दों को हाथ की कोहनी को ज़मीन से अलग रखना
- सजदे की हालत में कम से कम (3) बार "सुब्ह़ान_ रब्बियल_अअ़ला" कहना
- सजदे से उठकर तकबीर पढ़ना
- दोनों सजदे होने के बाद सबसे पहले अपनी पेशानी उठाना फिर नाक फिर दोनों हाथ फिर पैरों के घुटने इस तरह सजदा करना और दोनों सजदों के दरमियान इत्मीनान से बैठना
क़अ़दा में (5) सुन्नतें हैं ( Qada Ki Sunnatein )
- क़अ़दा में मर्दों को दायां पाँव खड़ा रखना और बायां पाँव बिछा के उसके ऊपर बैठना और पैर के पंजों की उंगलियों को क़िब्ले की तरफ मोड़कर रखना
- क़अ़दा में दोनों हाथो के पंजों को घुटनों के ऊपर रखना
- अत्ताह़िय्यात में “ला_इलाहा ” पे दाये हाथ की शहादत की उंगली को उठाना और “इल्लल्लाह” पे झुका देना
- आखिर क़अ़दा में दरूद शरीफ़ (दरुदे इब्राहीमी) को पढ़ना
- दरूद शरीफ के बाद “अल्लाहुम्मा_इन्नी_ज़लम्तु_नफ़्सि” ये दुआ पढ़े या “अल्ला_हुम्मा_रब्बना_आतिना” ये दुआ पढ़ना। अगर अकेले पढ़ रखे हो तो एक से ज्यादा दुआ भी पढ़ सकते हैं जो ह़दीष और क़ुरान में हो
सलाम की (8) सुन्नतें (Salaam Ki Sunnatein )
- दोनों तरफ यानी दाएं बाएं सलाम फेरना
- सलाम की शुरुवात दाई तरफ से करना
- इमाम का फ़रिश्तों, मुक़्तदियों, सालेह और जिन्नातों की सलाम की नियत करना.
- मुक़्तदी को इमाम के साथ साथ सलाम फेरना
- दुसरे सलाम की आवाज़ को पहले सलाम की आवाज़ से पस्त (धीमा) करना
- मसबुक ( जिसकी रकात छूट गयी हो ) को इमाम के फारिग़ होने का इंतेज़ार करना
- मुनफ़रिद यानी अकेले नमाज़ पढ़ने वाले को सिर्फ फ़रिश्तों की नियत करना
- मुक़्तदी को इमाम फ़रिश्तों,सालेह और जिन्नातों और दाये बाए मुक़्तदियों की नियत करना
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